Ramveer Upadhyay: हाथरस को जिला बनवाने का श्रेय, पांच बार लगातार विधायक ऐसे ही नहीं चर्चित थे रामवीर उपाध्याय
हाथरस: हाथरस को अलग जिला बनाने की मांग चल रही थी। 90 के दशक में इसको लेकर कई आंदोलन हुए। आंदोलन को सही राह नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में रामवीर उपाध्याय ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। हाथरस को अलग जिला बनाने का आंदोलन तेज हुआ। आखिरकार, 3 मई को अलीगढ़ से अलग हाथरस जिला अस्तित्व में आया। उनके योगदान को हाथरस ने याद रखा और पांच बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गए। रामवीर उपाध्याय का जन्म हाथरस के बमौली गांव में 1 अगस्त को हुआ था। 65 वर्षीय रामवीर उपाध्याय का निधन शुक्रवार को हो गया। उनके निधन पर सीएम योगी आदित्यनाथ समेत तमाम नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
मायावती के करीबी नेताओं में थे रामवीर रामवीर उपाध्याय को बहुजन समाज पार्टी के करीबी नेताओं में गिना जाता है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हाथरस जिले में ही हुई थी। मेरठ से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की। इसके बाद गाजियाबाद में वकालत करने लगे। वकालत से वे राजनीति के मैदान में वर्ष के विधानसभा चुनाव से पहले उतरे। राजनीति में उनकी सक्रियता के बाद हाथरस जिला आंदोलन से उनके जुड़ाव को देखते हुए मायावती ने उन पर भरोसा जताया। के विधानसभा चुनाव में हाथरस सीट से उतरे और पहली ही बार में जीत हासिल की।
में जीत के बाद यूपी में मायावती सरकार बनी। इसमें रामवीर उपाध्याय ने मंत्री पद की शपथ ली। मायावती ने उन्हें ट्रांसपोर्ट और पावर मिनिस्टर बनाया। वर्ष के चुनाव में हाथरस को अलग जिला बनवाने का तमगा लिए रामवीर चुनावी मैदान में उतरे तो उनकी जीत हाथरस के लोगों ने सुनिश्चित की। में बनी मायावती सरकार में उन्हें ऊर्जा और शिक्षा विभा का मंत्री बनाया गया। में रामवीर उपाध्याय ने जीत की हैट्रिक बनाई। हाथरस सीट से जीत और मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें ऊर्जा मंत्री का पदभार सौंपा गया।
वर्ष में रामवीर उपाध्याय सिकंदराराऊ विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए। बसपा के टिकट पर चौथी बार उन्होंने जीत दर्ज की। के यूपी चुनाव में मोदी-योगी लहर के बाद भी रामवीर उपाध्याय ने पांचवीं बार जीत हासिल की। इस बार वे हाथरस के सादाबाद सीट से उम्मीदवार बने थे। यूपी चुनाव से पहले वे भाजपा के हो गए थे। भाजपा ने उन्हें सादाबाद सीट से उतारा। लेकिन, इस बार रालोद के प्रदीप चौधरी गुड्डू ने उन्हें वोटों से मात दी।
जिले की सभी सीटों से बने विधायक जिले की सभी तीनों सीटों से रामवीर उपाध्याय ने जीत दर्ज कर विधायक बनने का गौरव हासिल किया। रामवीर उपाध्याय को हाथरस जिला आंदोलन में बड़ा सम्मान मिला था, लेकिन इस बार के चुनाव में वे बीमारी के बाद भी उतरे और हारे। इसका एक कारण उनका पाला बदलना रहा। सपा और रालोद के संयुक्त उम्मीदवार के हाथों उन्हें हार मिली। उनके निधन से उनके समर्थकों में निराशा छाई हुई है। पिछले दिनों उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय भी भाजपा में शामिल हुई हैं। बसपा ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। सीमा उपाध्याय सांसद भी रह चुकी हैं। अभी वे जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं।